यूँही तो नही
- merikalamse
- Sep 2, 2017
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Updated: Sep 4, 2017

जब शब्द पढोगे तुम मेरे तब समझोगे भाव मेरे यूँही तो नही लिखता हूँ, कुछ तो होंगे घाव मेरे !!
रातों को अक्सर जगता हूँ, कलम उठाकर लिखता हूँ ख्वाब मेरे इन पन्नो पर !! सोचता हूँ आसमानो की, जमीनों पर हैं पाँव मेरा... यूँही तो नही लिखता हूँ, कुछ तो होंगे घाव मेरे !!
यादें उन पलों की, जो जिए थे मैंने कभी उन्हें फिर से जीने के लिए बैठता हूँ उनकी छावँ तले !! जब शब्द पढोगे तुम मेरे तब समझोगे भाव मेरे यूँही तो नही लिखता हूँ, कुछ तो होंगे घाव मेरे !!
जब भाव मेरे जुड़ जाते हैं, तब हाथ मेरे उठजाते हैं फिर जोड़ जोड़ उन भावों को यह कविता वे लिखजाते हैं तुम समझो तो जानू मैं, इन पन्नो पर ख्वाब मेरे !! यूँही तो नही लिखता हूँ, कुछ तो होंगे घाव मेरे....

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