तुम थे !!!
- merikalamse
- Sep 2, 2017
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Updated: Sep 4, 2017

एक शाम वो थी, एक शाम ये है
ये हवाएं तब भी थी, ये घटायें तब भी थी फर्क सिर्क इतना है तब तुम थे !!!
एक रात वो थी, एक रात ये है ये ख़ामोशी तब भी थी, ये चांदनी तब भी थी फर्क सिर्क इतना है चाँद तब तुम थे !!!
वो दिन भी थे जो बीत गए जो बीते थे साथ तेरे अब तुम नही तो कुछ नही और क्या होगा साथ मेरे ख्वाब ख्वाब में ख्वाब सजाकर ख्वाब जो मैंने देखे थे वो ख्वाब सारे टूट गए, पल वो सारे रूठ गए
और मैं... अब ये सोचता हूँ एक वो वक़्त था, एक ये वक़्त है ये जुदाई तब न थी, ये तन्हाई तब न थी हाँ तब तो हम खुश थे !! साथ मेरे... जब तुम थे !!!

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