फिर से सोच जरा...
- merikalamse
- Sep 30, 2017
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क्यों भागता है तू, सबके ख़्वाबों के पीछे !! तूने भी तो देखे थे कुछ ख्वाब, लक्ष्यों को खींचे !! कहीं भटक तो नही गया तू, सबको खुश करने में ?? या चुन लिए वो रास्ते, जो सरल थे चलने में ??
जरा पूछ खुदसे, क्या यही थे ख्वाब तेरे !! सबसे दूर है तू, केवल दौलत है पास तेरे !! रुक, ठहर, सोच जरा !! ये दिन चिंताओं से क्यों है भरा ?? पा तो लिया सबकुछ तूने, फिर भी क्यों है तू डरा डरा ?? शायद नही यह राह वो मंजिल पाने की, फिर से सोच जरा फिर से सोच जरा...

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