ख्वाबों की दुनिया
- merikalamse
- Sep 21, 2017
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ख़्वाबों में जो देखि थी दुनिया, वो दुनिया कितनी हसीन थी !! शांति थी चारो ओर,
खुशियां ही हर जगह बिखरी थी...
ख़्वाबों में जो देखि थी दुनिया,
वो दुनिया कितनी हसीन थी !!
न थे ये सीमायों के मसले, न थे ये धर्मो के संकट !! मुस्कान हर चेहरे पर खिली थी... ख़्वाबों में जो देखि थी दुनिया, वो दुनिया कितनी हसीन थी
न थे ये शोर शराबे, न थे ये खून खराबे, इंसानो के दिलो में इंसानियत दिखी थी ख़्वाबों में जो देखि थी दुनिया वो दुनिया कितने हसीन थी
मगर ये दुनिया !! ये दुनिया हिन्दू-मुसलमान की, ये दुनिया भारत-पाकिस्तान की, ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है !!!
ये दुनिया तो न थी उन ख़्वाबों में !! यहाँ तो हर रोज जवान मरते हैं, यहाँ तो इंसान ही इंसानो से डरते हैं... न कभी उन ख़्वाबों के टूटने की उम्मीद थी !! ख़्वाबों में जो देखि थी दुनिया, वो दुनिया कितनी हसीन थी...

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