बयां मैं कैसे करूँ !!
- merikalamse
- Aug 24, 2017
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Updated: Sep 4, 2017

दो लफ्ज़ की कहानी थी वो, बयां मैं कैसे करूँ !! एक पल मिलना था, दूजे पल बिछड़ना बयां मैं कैसे करूँ !!
दो जिस्म एक जान थे हम, एक दूजे के जहां थे हम जब मिलना था तो बिछड़े क्यों अब ये सज़ा मैं कैसे सहूँ !! दो लफ्ज़ की कहानी थी वो, बयां मैं कैसे करूँ !!
ये सच भी मैंने माना था आग का दरिया था, और डूब के जाना था कितने खुश थे हम मैं शब्दों में कैसे कहूँ !! दो लफ्ज़ की कहानी थी वो, बयां मैं कैसे करूँ !!

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